- कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के इस्तीफे की अटकलें तेज़ हो गई हैं। विभिन्न मीडिया रिपोर्टों की माने तो , जल्द ही अपने पद से इस्तीफा दे सकते है जिसका कारण लिबरल पार्टी के अंदर बढ़ते दबाव , आंतरिक कलह , बढ़ते असंतोष और बाहरी दबाव है जिन्हेंने इस स्थिति को जन्म दिया है। आइए हम इस घटनाक्रम के विभिन्न पहलुओं विस्तार से समझते है और साथ साथ , उन प्रमुख घटनाओं पर नजर डालते हैं, जिन्होंने ट्रूडो को इस मुकाम पर पहुंचाया।
1. लिबरल पार्टी में आंतरिक कलह
लिबरल पार्टी के सदस्यों के बीच में आंतरिक दवाब बढ़ता जा रहा है। पार्टी के सदस्यों का मानना है कि आने वाले चुनाव में , जस्टिन ट्रूडो चुनाव हारने का कारण बन सकते है। इस असंतोष के परिणामस्वरूप, लिबरल पार्टी के सांसदों ने खुलकर उनके विरोध में आना शुरू कर दिया है, जिससे ट्रूडो पर इस्तीफे का दबाव बढ़ गया है।
2. जनमत सर्वेक्षणों में गिरावट
हाल के जनमत सर्वेक्षणों के अनुसार, लोकप्रियता में मामले में ट्रूडो की गिरावट आई है। वे अपने ऑपोजिशन , कंजर्वेटिव पार्टी के नेता पियरे पॉइलीवर से 26 अंकों से पीछे चल रहे हैं। ये चीज उनके राजनीतिक पकड़ की कमजोरी को साफ साफ दर्शा रहा है। जिससे आगामी चुनावों में उनकी संभावनाएं कमजोर होती दिख रही हैं।
3. भारत-कनाडा के खराब संबंधों
एक चीज जो ट्रुडो की अंतर्राष्ट्रीय राजनीतिक छवि को नुकसान पहुंचा रही जो कि , भारत के विरोध की राजनीति और खालिस्तानी और उनके समर्थकों की ओर उनका नरम रुख अपनाना।
4. पार्टी के नेतृत्व पर उठने वाले सवाल
पार्टी के भीतर ट्रूडो के नेतृत्व पर सवाल उठ रहे हैं। सांसदों का एक पक्ष का मारना है कि पार्टी की स्थिति में सुधार चाहिए तो नए नेता की आवश्यकता है। नए नेता के बिना पार्टी की स्थिति में सुधार संभव नहीं है, जिससे नेतृत्व परिवर्तन की मांग जोर पकड़ रही है।
5. आर्थिक नीतियों की आलोचना
बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी में सरकार की नीतियां कुछ काम नहीं आ रही जिस कारण ट्रूडो की सरकार की आर्थिक नीतियों की आलोचना की जा रही है, जिससे जनता में असंतोष बढ़ रहा है।
6. व्यक्तिगत विवाद
लूडो के लोकप्रियता में आई गिरावट का मुख्य कारण व्यक्तिगत विवाद भी है। टुडे के व्यक्तिगत जीवन की कुछ घटनाओं ने उनकी नैतिकता और नेतृत्व क्षमता पर सवाल खड़े किए हैं।
7. अंतरराष्ट्रीय मंच पर आलोचना
ट्रूडो के नीतियों और बयानों की आलोचना अंतरराष्ट्रीय मंचों पर हुई है। जिनमें से भारत के साथ संबंधों में खटास और अन्य देशों के साथ कूटनीतिक चुनौतियों ने उनकी विदेश नीति को सवालों के घेरे में ला दिया है।
सूत्रों के अनुसार, ट्रूडो सोमवार 6 जनवरी को अपने पद से इस्तीफे दे सकते हैं। सन् 2015 में जस्टिन ट्रूडो ने प्रधानमंत्री मंत्री की पहली शपथ ली थी। वे एक उदारवादी नेता के रूप में जाने जाते हैं और फिर उनके नेतृत्व में लिबरल पार्टी ने तीन बार चुनावी जीत हासिल की है।
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निष्कर्ष
लिबरल पार्टी के अंदर यह तनाव बढ़ता जा रहा है कि इन चुनौतियों का सामना करने के लिए नए नेतृत्व की आवश्यकता है। ट्रूडो अगर इस्तीफा देते हैं तो पार्टी के लिए नए नेता की तलाश करनी होगी , एक ऐसे नेता की जो पार्टी को पुनर्गठित कर सके और जनता का विश्वास जीत सके। आने वाले चुनाव को मद्दे नजर रखा जाए तो पार्टी के लिए यह प्रक्रिया चुनौतीपूर्ण हो सकती है। ऐसी स्थिति में, कंजर्वेटिव पार्टी के नेता पियरे पॉइलीवर के पास अपनी स्थिति मजबूत करने का अवसर होगा। वे वर्तमान में जनमत सर्वेक्षणों में बढ़त बनाए हुए हैं, जो आगामी चुनावों में उनकी सफलता की संभावनाओं बनाता है। फिलहाल में कनाडा की राजनीतिक स्थिति वर्तमान में अस्थिर है। जस्टिन ट्रूडो पर इस्तीफे का बढ़ता दबाव और लिबरल पार्टी के भीतर बढ़ती कलह ने देश की राजनीति में अनिश्चितता पैदा कर दी है। आने वाले दिनों में ट्रूडो के निर्णय और पार्टी की रणनीति पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।